संस्कृति उत्सव 2025

संस्कृति उत्सव 2025 : उत्तर प्रदेश सरकार ने 2 जनवरी से 26 जनवरी, 2025 तक ‘संस्कृति उत्सव’ की घोषणा की है। यह आयोजन राज्य के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में किया जाएगा और इसका उद्देश्य विभिन्न कला रूपों में प्रतिभा को बढ़ावा देना है। इस उत्सव में राज्य भर में विभिन्न स्तरों पर प्रतियोगिताएँ शामिल होंगी, जो उभरते कलाकारों को एक मंच प्रदान करेंगी।

संस्कृति उत्सव 2025: इवेंट अवलोकन

संस्कृति उत्सव ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ मनाएगा। कार्यक्रम की थीम ‘उत्तर प्रदेश पर्व- हमारी संस्कृति-हमारी पहचान’ है। इस महोत्सव का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का पता लगाना और उसका प्रदर्शन करना है।

संस्कृति उत्सव 2025: प्रतियोगिता संरचना

प्रतियोगिताएं 2 जनवरी से 24 जनवरी 2025 तक चलेंगी। ये प्रतियोगिताएं राज्य, ब्लॉक, तहसील, जिला और संभागीय मुख्यालयों सहित विभिन्न स्तरों पर आयोजित की जाएंगी। प्रतिभागी शास्त्रीय, अर्ध-शास्त्रीय और लोक कलाओं में प्रतिस्पर्धा करेंगे। इस कार्यक्रम में इन सांस्कृतिक विधाओं के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा।

संस्कृति उत्सव 2025: प्रतियोगिताओं की श्रेणियाँ

इस महोत्सव में ख्याल और ध्रुपद सहित शास्त्रीय गायन की प्रतियोगिताएं होंगी। अर्ध-शास्त्रीय गायन में ठुमरी, दादरा और कई अन्य विधाएं शामिल होंगी। लोक गायन प्रतियोगिताओं में कजरी, कव्वाली और अन्य प्रस्तुतियां होंगी। सुगम संगीत श्रेणियों में गीत, गजल और देशभक्ति गीत शामिल होंगे।

उत्तर प्रदेश राज्य दिवस के बारे में मुख्य तथ्य

  • 24 जनवरी 1950 को संयुक्त प्रांत का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया ।
  • मई 2017 में , उत्तर प्रदेश सरकार ने इस अवसर का सम्मान करने के लिए प्रतिवर्ष उत्तर प्रदेश दिवस मनाने का निर्णय लिया ।
  • यूपी दिवस मनाने की पहल राज्यपाल राम नाईक ने की थी ।
  • 2018 से , यूपी दिवस को तीन दिवसीय कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है , जिसमें राज्य के इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जाता है ।

 नोट्स:

  1. संस्कृति उत्सव: यह सांस्कृतिक उत्सव उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य राज्य भर में विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से शास्त्रीय, अर्ध-शास्त्रीय और लोक कलाओं को बढ़ावा देना है।
  2. उत्तर प्रदेश दिवस: उत्तर प्रदेश दिवस राज्य की स्थापना का स्मरण करता है। यह हर साल मनाया जाता है, जो राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसके गठन के बाद से प्राप्त उपलब्धियों को दर्शाता है।
  3. ख़याल: ख़याल शास्त्रीय हिंदुस्तानी संगीत का एक रूप है। इसमें तात्कालिक और भावपूर्ण गायन होता है, जिससे कलाकारों को अपनी रचनात्मकता और भावनात्मक गहराई को प्रदर्शन में दिखाने का मौका मिलता है।
  4. ध्रुपद: ध्रुपद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे पुराने रूपों में से एक है। यह अपनी गंभीरता और आध्यात्मिक गहराई के लिए जाना जाता है, जिसे अक्सर धीमी, ध्यानपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया जाता है।
 
Spread the love

Leave a Comment