कैबिनेट ने चंद्रयान-4 और वीनस ऑर्बिटर मिशन को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण योजनाओं में कई महत्वपूर्ण कदमों को मंजूरी दी है। इनमें भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BSS) का निर्माण, चंद्रमा के नमूने एकत्र करने के लिए चंद्रयान-4 मिशन का प्रक्षेपण और शुक्र ग्रह पर भारत के पहले मिशन की तैयारी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया, जिसका लक्ष्य 2035 तक एक आत्मनिर्भर अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक एक मानवयुक्त चंद्रमा मिशन बनाना है।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BSS)

BAS परियोजना भारत का पहला अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर केंद्रित है। इससे देश के गगनयान कार्यक्रम (भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन) को मजबूती मिलेगी। भारत की योजना 2028 तक BAS-1 नामक अंतरिक्ष स्टेशन का पहला भाग लॉन्च करने की है, जबकि 2035 तक पूरा अंतरिक्ष स्टेशन तैयार हो जाएगा। यह पृथ्वी से 300 से 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करेगा और एक बार में 20 दिनों तक अंतरिक्ष यात्रियों की सहायता करेगा। स्टेशन का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए किया जाएगा और इसका उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है। गगनयान मिशन इस स्टेशन को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। BAS मॉड्यूल भारत के GSLV Mk III रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किए जाएंगे और अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती क्षमता को उजागर करेंगे।

तकनीकी सत्यापन

अंतरिक्ष स्टेशन विकसित करने के लिए, भारत इसके निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक तकनीकों का परीक्षण करने के लिए विभिन्न मिशन चलाएगा। ये मिशन भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानों में सुरक्षा और सफलता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।

चंद्रयान-4 मिशन

चंद्रयान-4 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के नमूने वापस धरती पर लाना है। यह मिशन चंद्रयान-3 की उपलब्धियों पर आधारित होगा, जिसने भारत की चांद पर उतरने की क्षमता को साबित किया था। चंद्रयान-4, चंद्रमा से जुड़ी तकनीक विकसित करने का एक किफ़ायती तरीका होगा, क्योंकि भारत 2040 तक चांद पर मानवयुक्त मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है।

शुक्र मिशन

अपने चंद्र मिशनों के साथ-साथ सरकार ने शुक्र ग्रह पर भारत के पहले मिशन को भी मंजूरी दे दी है। यह मिशन ग्रहों की खोज में भारत की भूमिका का विस्तार करेगा और चंद्रमा से परे अंतरिक्ष अनुसंधान में योगदान देगा।

इन परियोजनाओं के साथ, भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी बढ़ती ताकत का प्रदर्शन करना है। देश 2040 तक अंतरिक्ष में एक स्थायी मानव उपस्थिति बनाने के लिए चंद्र और अंतरग्रहीय मिशन दोनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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