Vadhavan Port: प्रधानमंत्री मोदी ने सागरमाला कार्यक्रम के तहत वाधवन बंदरगाह की आधारशिला रखी

Vadhavan Port: वाधवन बंंदरगााह को मेजर पोर्ट के रूप में स्थापित करने के लिए 2015 में समझौता किया था, बंधवान बंदरगाह महाराष्ट्र का तीसरा मेजर पोर्ट है  जवाहरलाल नेहरू पोर्ट प्राधिकरण, महाराष्ट्र मैरिटाइम बोर्ड संयुक्त रूप से बंदरगाह का संचालन करेंगे जिसमें उनकी भागीदारी क्रमशः 74% और 26 प्रतिशत की होगी.

वधाावन बंंदरगााह की मुुख्य विशेेषतााएंं – Vadhavan Port

  1. इस बंदरगाह का निर्माण महाराष्ट्र के पालघर में सार्वजनिक निजी भागीदारी और लैंडलॉर्ड मॉडल के आधार पर किया जा रहा है 
  2. इसमें जहां पोर्ट अथॉरिटी विन्यामक संस्थाओं और लैंडलॉर्ड के रूप में कार्य करती है वहीं निजी  कंपनियां बंदरगाह का संचालन करती है
  3.  यह देश का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट होने जा रहा है इस बंदरगाह की कुछ कंटेनर होल्डिंग क्षमता 23.2  मिलियन TEU होगी साथ ही भारत के सबसे बड़े गहरे जल के पोर्ट में  से भी एक होगा
  4. वाधवन बंंदरगााह में कुशल कार्गो हैंडलिंग सुविधा और आधुनिक बंदरगाह प्रणाली भी शामिल है.

वधाावन परियोजना का महत्व

  • अंतर्राष्ट्रीय पोत परिवहन मार्गो से सीधा संपर्क स्थापित होगा.
  • लगभग 20 मी का प्राकृतिक ड्राफ्ट होने के कारण विशाल कंटेनर जहाज के संचालन में सहायता करेगा.
  • महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है साथ ही वैश्विक व्यापार के रूप में भारत की स्थिति भी मजबूत होगी.
  • इसकी कनेक्टिविटी और दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे से निकटता के कारण नए व्यवसायों और वेयरहाउस के लिए अवसर बनेंगे.

भारत में बंदरगाहों की स्थिति

  •  भारत में 12 मेजर और 200 माइनर पोर्ट है मेजर पोर्ट 1963 के महापट्टन न्यास अधिनियम के तहत शासित होते हैं और पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय  के प्रशासनिक नियंत्रण में है.
  • माइनर पोर्ट 1908 के भारतीय पट्टन अधिनियम के तहत शासित होते हैं और यह संबंधित राज्य के मैरिटाइम अधिकार क्षेत्र के शासित किए जाते हैं है.
  • भारत में मात्र की दृष्टि से 95% और मूल्य की दृष्टि से 70% व्यापार समुद्री परिवहन के माध्यम से किया जाता है.
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