हिमालय पर्वत विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला, भारत की भौगोलिक और जलवायु व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर अर्द्धवृत्त का निर्माण करता है।
भू-आकृतिक विशेषताएं-
1. विस्तार और संरचना-
- टेथिस सागर के अवसादों और भारतीय व यूरेशियन प्लेटों के टकराव से बनी है,
- भारत में यह जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक 2,400 किमी में फैली है।
- औसत चौड़ाई 150-400 किमी और सर्वाधिक ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) तक है।
2. प्रमुख श्रेणियाँ-
- टांस हिमालय – लद्दाख और काराकोरम श्रेणियाँ, जो हिमालय के उत्तर में हैं।
- महान हिमालय (हिमाद्रि)- यहाँ एवरेस्ट, कंचनजंगा, औरनंगा पर्वतं जैसी चोटियाँ हैं।यह सदैव हिमाच्छादित रहताहैं।
- मध्य हिमालय (लघु हिमालय)- पर्वत श्रेणियों जैसे पीर पंजाल और धौलाधर। (हिल स्टेशन) जैसे शिमला और मसूरी हैं।
- वाह्य हिमालय (शिवालिक)- सबसे दक्षिणी श्रृंखला। जो तराई और भावर क्षेत्रों से घिरी है।
- 3. भू-आकृतिक विविधताः-
हिमनद और नदिया- हिमालय में गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे हिमनद हैं, जो गंगा, यमुना, और ब्रह्मपुत्र जैसी बारहमासी नदियाँ हैं।
घाटिया और दर्रे – कश्मीर घाटी, कांगड़ा घाटी, और नाथू ला, जोजिला दर्रे |
4. जैव-विविधताः-
- हिमालय में ऊँचाई के साथ वनस्पति बदलती है उष्णकटिबंधीय जंगल (शिवालिक), शीतोष्ण वन (मध्य हिमालय), और अल्पाइन घासभूमि (महान हिमालय)।
- यह जैव-विविधता हॉटस्पॉट है, जिसमें दुर्लम प्रजातियों जैसे हिम तेंदुआ, लाल पांडा, और हिमालयी मोनाल पाए जाते हैं।
भारतीय जलवायु पर प्रभाव-
1. मानसून पर प्रभाव-
- दक्षिण-पश्चिम मानसून हिमालय बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाले मानसूनी पवनों को रोकता है, जिससे भारत में भारी वर्षा होती है।
- वर्षा का वितरण- इसके कारण पूर्वी भारत में उच्च वर्षा (200-400 सेमी) होती है. और पश्चिमी भारत में निम्न वर्षा होती है
- उत्तर-पूर्वी मानसून- सर्दियों में हिमालय ठंडी हवाओं को दक्षिण की ओर धकेलता है, जो तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में वर्षा लाती है।
2. तापमान नियंत्रण-
- उत्तरी ठंडी हवाओं से सुरक्षा -हिमालय मध्य एशिया से आने वाली ठंडी साइबेरियाई हवाओं को रोकता है।
3. क्षेत्रीय जलवायु विविधताः
- शुष्क क्षेत्र -हिमालय के उत्तरी भाग (लद्दाख, स्पीति) में कम वर्षा के कारण ठण्मरुस्थल जैसी जलवायु।
- पूर्वोत्तर में भारी वषा- हिमालय की पूर्वी श्रेणियाँ (खासी, गारो) विश्व के सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र (चेरापूंजी, मासिनराम) बनाती हैं।
हिमालय न केवल भारत की भौगोलिक संरचना को प्रभावित करता है, बल्कि इसकी जलवायु, कृषि, नदी प्रणाली और मानव बसावट पर भी गहरा प्रभाव डालता है। यह भारत का “प्राकृतिक रक्षक” भी कहलाता है।