आईआईटी मद्रास और इसरो द्वारा अंतरिक्ष यान थर्मल प्रबंधन के लिए अनुसंधान केंद्र शुरू

आईआईटी मद्रास द्रव और तापीय विज्ञान में उत्कृष्टता केंद्र बनाने के लिए इसरो के साथ साझेदारी कर रहा है। इस सहयोग का उद्देश्य अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहनों के लिए तापीय प्रबंधन में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इस पहल के लिए इसरो ने सीड फंडिंग के रूप में 1.84 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। एमओयू पर 11 नवंबर 2024 को हस्ताक्षर किए गए, जो उद्योग-अकादमिक सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

केंद्र का उद्देश्य

यह केंद्र इसरो के सामने आने वाली थर्मल प्रबंधन चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान थर्मल मुद्दों के लिए समर्पित एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र के रूप में काम करेगा। इस पहल का उद्देश्य जटिल थर्मल इंजीनियरिंग समस्याओं से निपटने में आईआईटी मद्रास संकाय की विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।

वित्तपोषण और संसाधन

इसरो की 1.84 करोड़ रुपये की शुरुआती फंडिंग से केंद्र की स्थापना में मदद मिलेगी। इस फंडिंग में आवश्यक बुनियादी ढांचे और उपकरणों को शामिल किया जाएगा। अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपभोग्य सामग्रियों, रखरखाव और द्रव-ताप विज्ञान में भविष्य की परियोजनाओं के लिए आवंटित किए जाएंगे।

केंद्र महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान परियोजनाएं शुरू करेगा। इनमें अंतरिक्ष यान थर्मल प्रबंधन, हाइब्रिड रॉकेट में दहन अस्थिरता और क्रायो-टैंक थर्मोडायनामिक्स शामिल हैं। अनुसंधान का उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित थर्मल प्रबंधन के मुद्दों को संबोधित करना है।

ऐतिहासिक संदर्भ

यह सहयोग इसरो और आईआईटी मद्रास के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों पर आधारित है। 1985 में, उन्होंने उन्नत शैक्षणिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘इसरो-आईआईटी एम स्पेस टेक्नोलॉजी सेल’ की स्थापना की। यह नया उत्कृष्टता केंद्र थर्मल विज्ञान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके उस विरासत को जारी रखता है।

अपेक्षित परिणाम

इस सहयोग के मुख्य परिणामों में थर्मल प्रबंधन अनुसंधान में प्रगति शामिल है। केंद्र का लक्ष्य भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में योगदान देना है। यह नवोन्मेषी समाधानों और अनुसंधान प्रगति के माध्यम से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. इसरो-आईआईटी एम स्पेस टेक्नोलॉजी सेल – 1985 में स्थापित यह सहयोग उन्नत शैक्षणिक अनुसंधान को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य नवीन अनुसंधान पहलों के माध्यम से भारत के आत्मनिर्भर अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन करना है।
  2. प्रौद्योगिकी विकास एवं नवाचार निदेशालय (DTDI): इसरो का यह प्रभाग प्रौद्योगिकी विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। यह इसरो की विभिन्न परियोजनाओं में अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाने और नवाचार को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  3. उत्कृष्टता केंद्र – यह सुविधा द्रव और तापीय विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसका उद्देश्य सहयोगात्मक अनुसंधान के माध्यम से अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहनों के लिए तापीय प्रबंधन चुनौतियों को हल करना है।
  4. दहन अस्थिरता – यह घटना रॉकेट के प्रदर्शन को प्रभावित करती है। हाइब्रिड रॉकेट में दहन अस्थिरता पर शोध अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणालियों की स्थिरता और दक्षता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
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